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समय

हम अपनी ज़िंदगी मे समय का इंतजार करते रहते हैं कि वो आये और हमारी दुनिया ख़ुशियों से भर दे । वो आता है और चला भी जाता है और हम वहीं खड़े मूक बने देखते रहते है, फिर एक र्निजीव सा भाव हमे बाध्य करता है, रोने के लिये, अपने आप पे, अपने भाग्य पर ।